दोस्तो मेरा नाम जय है.
आशा करता हूँ आप सब अच्छे होंगे.
आज मैं आपको मेरे साथ घटी एक सच्ची घटना Www इंडियन सेक्स कॉम पर बताने जा रहा हूँ जो अभी कुछ महीने पहले ही घटी थी.
फ्रेंड्स, जैसा मैंने पहले बताया कि मेरा नाम जय है और मैं एक टिपिकल गुजराती काठियावाड़ी फैमिली से बिलॉंग करता हूँ.
मैं अभी गुजरात के अहमदाबाद में रहता हूँ.
यहां पर मैं अपना खुद का बिजनेस चला रहा हूँ.
मेरी बॉडी टाइप औसत है और मेरे लंड का साइज़ साढ़े छह इंच है जो किसी भी लड़की, भाभी या आंटी को संतुष्ट करने में सक्षम है.
दोस्तो, अभी कुछ दिन पहले मैं रोज़ की तरह सुबह तैयार होकर अपने ऑफिस के लिए निकल रहा था.
तभी हमारी बिल्डिंग के दूसरे फ्लोर पर कोई नए मेंबर रहने के लिए आए थे.
और उनका सामान रास्ते में रखे होने से मुझे ऑफिस जाने के लिए देरी हो रही थी.
उस वक्त मुझे गर्मी भी बहुत लग रही थी तो मैंने सामान उठाने वाले मज़दूर पर थोड़ा चिल्ला कर बोला- जल्दी सामान हटा लो भाई, आने जाने में दिक्कत हो रही है!
तभी एक सेक्सी सी भाभी, जिनका नाम कविता था (बदला हुआ) उन्होंने मुझसे कहा- सॉरी भैया, हमारी वजह से आपको दिक्कत हो रही है! मैं जितनी जल्दी हो सकता है, उतनी जल्दी सामान अन्दर रखवा लेती हूँ.
उन्होंने इतना बोला कि मैं एकदम चुप हो गया और सिर्फ़ उनको ताड़ने लगा था.
कविता भाभी मस्त माल थीं तो मैं अपनी आंखें सेंकने लगा था.
यार वह थी ही इतनी मस्त कि मैं क्या … कोई भी मर्द यूं ही ठगा सा रह जाएगा.
कविता भाभी की उम्र करीब 35 साल की रही होगी और उनकी फिगर 34-28-38 की थी.
उनका भरा हुआ बदन और छाती पर तोप की मानिंद तने हुए उनके दोनों गोल गुब्बारे देख कर किसी के भी मुँह में पानी आ जाएगा.
कविता भाभी के इतना बोलते ही थोड़ी सी जगह हुई और मैं थैंक्स बोल कर भाभी को स्माइल देता हुआ वहां से चला गया.
मैं वहां से चला तो आया लेकिन वह भाभी मेरे दिल में बस चुकी थी.
खैर … कुछ ही देर में मैं अपने ऑफिस में पहुंच गया और अपने काम में व्यस्त हो गया.
कब शाम हो गयी, कुछ पता ही न चला.
शाम को जैसे ही मैं घर की तरफ निकला, मुझे वापस कविता भाभी के बारे में ख्याल आने लगा.
बस उनके बारे में ही सोचते सोचते मैं बिल्डिंग के गेट तक पहुंच गया और देखा कि गेट पर भाभी कुछ परेशान हो रही थीं.
मुझको ऐसा लग रहा था, तो मैं उनको बस देख कर आगे जाने लगा था.
तभी उन्होंने मुझे रोका और पूछा- भाईसाब सॉरी, आपसे एक हेल्प चाहिए मुझे!
मैंने झट से कहा- हां भाभी, कहिए क्या हेल्प चाहिए आपको?
उन्होंने कहा- क्योंकि मैं अभी यहां पर नई आई हूँ और मुझे सुपर मार्केट जाना है. क्या आप मुझे बता सकते हैं कि आस पास कोई सुपर मार्केट है क्या और है … तो किधर पड़ेगी?
मैंने उन्हें हमारे पास की ही एक सुपर मार्केट का पता बताया और रास्ता भी समझा दिया.
वे थैंक्स बोल कर और एक कंटीली सी स्माइल पास करती हुई निकल गईं.
मैं उनकी स्माइल पर फिदा हो गया और उन्हें जाते हुए देखता रहा.
कुछ पल बाद मैं अपने घर चला आया.
जल्दी ही मैं फ्रेश होकर वापस बाहर चला गया.
लेकिन बाहर भी इतना मन नहीं लग रहा था तो मैं जल्दी से घर वापस आ गया.
मैं भाभी को देखने के बहाने से जैसे ही सेकंड फ्लोर पर पहुंचा, भाभी का गेट बंद होने की वजह से मायूस हो गया.
मैं फिर से वापस अपने घर की तरफ चल दिया.
जैसे ही मैं अपने घर के दरवाजे पर पहुंचा, उन्होंने आवाज़ दे दी- एक्सक्यूज मी भैया!
मैंने एकदम से आवाज की तरफ पलट कर देखा, तो छत वाली सीढ़ियों पर कविता भाभी कपड़े की बाल्टी लेकर खड़ी थीं और बात कर रही थीं.
वे मुझे देख कर बोल रही थीं- थैंक्यू सो मच … मेरी हेल्प करने के लिए! मैंने घर की जरूरत का सारा सामान खरीद लिया, अब कोई परेशानी नहीं है मुझे … थैंक्यू अगेन!
तो मैंने भी रिप्लाई किया- अरे भाभी जी, यह तो मेरा फर्ज था, अगर कुछ और भी काम हो तो जरूर बताएं!
उन्होंने कहा- हां जरूर भैया … थैंक्स अगेन. आपके इसी हेल्पिंग नेचर की वजह से मैं आपको मेरे घर चाय नाश्ते के लिए इन्विटेशन देना चाहती हूँ.
मैंने थोड़ी सी बनावटी ना-नकुर करते हुए औपचारिकता दिखाई- अरे यह सब क्यों भाभी जी?
लेकिन उनके ज़्यादा जोर देने की वजह से मैंने तुरंत हां बोल दिया.
मैंने कहा- अच्छा ओके भाभी जी, कल सुबह की चाय आपके साथ पक्की!
कविता भाभी वापस अपनी मीठी सी स्माइल देकर चली गईं और इधर मेरे लंड महोदय अपनी औकात में आ गए.
मैंने तुरंत बाथरूम में जाकर उनको शांत किया और नहाकर वापस आया.
फिर मैं भाभी के बारे में सोचते हुए सो गया.
सुबह 7 बजे उठकर मैं तैयार होने लगा और फ्रेश होकर 9 बजे निकला.
जैसे ही मैं सेकंड फ्लोर पर पहुंचा, भाभी जी दूध वाले से दूध ले रही थीं और शायद मेरी ही राह देख रही थीं.
उस वक्त भाभी ने मैक्सी पहनी थी, जिसमें वे कयामत ढा रही थीं.
उन्होंने मुझे देखा और वेलकम किया.
मैं उनके पीछे पीछे उनके फ्लैट में दाखिल हुआ.
तो उन्होंने मुझे सोफ़े पर बिठाया और पानी दिया.
जैसे ही वे पानी का गिलास लेकर वापस जाने के लिए मुड़ीं तो उनकी मदमस्त गांड मटकती हुई दिखाई दी.
मैंने ताड़ा तो उनकी मैक्सी में उनकी पैंटी के किनारे साफ साफ नुमाया हो रहे थे.
भाभी चाय बनाने के लिए किचन में जा रही थीं तो मैं उनकी गांड को ताड़ता रहा था.
उसी वक्त न जाने क्या हुआ कि उन्होंने अचानक से पीछे मुड़ कर एक नजर मेरी नजरों को देखा और भांप लिया कि मैं उनकी गांड का मजा ले रहा हूँ.
उनकी उस एक नजर से ही मेरे तोते उड़ गए और भाभी वापस मुस्कुराती हुई किचन में दाखिल हो गईं.
अब मुझे इतना तो समझ में आ गया था कि भाभी से कुछ बात बन सकती है.
करीब दस मिनट बाद भाभी चाय लेकर आईं और जैसे ही उन्होंने चाय टेबल पर रखी, उनकी गहरे गले वाली मैक्सी से उनके दोनों दूध बाहर टपकने को आतुर से दिखे.
भाभी के चूचे देख कर मेरे मन में हलचल मच गयी और मैं एकदम से गनगना उठा.
उनको भी शायद यह बात पता थी कि मैं क्या देख रहा हूँ लेकिन उन्होंने कुछ बोला नहीं, सिर्फ़ छोटी सी स्माइल की और सामने वाली चेयर पर बैठ गईं.
अब हमारी बातें होने लगीं.