मकान मालिक ने मेरी सील तोड़ चुदाई की- 1

आपकी रिया फिर से आई है एक सच्ची कहानी लेकर!
यह कहानी एकदम सच्ची है।
इसमें जगह और पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं।

आप सभी को, और आप सबके लंड को मेरे गुलाबी रस भरे होंठों की चुम्मी।

अब मैं कम इन माउथ फक कहानी पर आती हूं।

मेरा नाम मनीषा है और मैं अपनी मम्मी और छोटे भाई के साथ एक किराए के मकान में रहती हूं।

मेरी मम्मी किसी फैक्ट्री में नौकरी करती हैं और मेरा भाई सरकारी स्कूल में पढ़ता है।
वह 12:00 बजे स्कूल जाता है तो शाम को 6:00 बजे आता है।

मेरी मम्मी सुबह 9:00 बजे निकल जाती हैं और रात को 7:00 बजे के आसपास आती हैं।

दोस्तो, मेरा साइज 34, 28, 36 है। उम्र 22 साल।
मैं अपनी माली हालत की वजह से 12वीं पास करने के बाद आगे नहीं पढ़ पाई और घर का काम करती हूं।

मेरे बूब्स टाइट और सुडौल हैं।
जब मैं चलती हूं तो वे ढंग की तरह हिचकोले लेकर उछलते हैं।

जब भी मैं किसी काम से घर से बाहर कोई सामान लेने जाती हूं तो सभी मुझे चोदने की नजर से भूखे भेड़ियों की तरह देखते हैं।

मेरा मकान मालिक मेरे ऊपर गंदी नजर रखता है और मौका मिलने पर मुझे दबोच लेता है।
वैसे मैं ज्यादातर पाजामा और टी-शर्ट ही पहनती हूं, नीचे ब्रा नहीं पहनती।

जिस मकान में हम किराए पर रहते हैं, उस मकान में मकान मालिक, उनकी बीवी और हम तीन लोग रहते हैं।

मकान मालिक के बेटा-बहू बाहर रहते हैं।
जब भी मैं नीचे पानी लेने आती हूं या किसी और काम से आती हूं, तो मकान मालिक मौका मिलते ही मुझे अपनी बाहों में दबोच लेता है।
कभी मेरा गाल अपने मुंह में भरकर चूसता है तो कभी मेरे होंठों को चूसने लगता है।

कई बार तो उसने मेरी टी-शर्ट में हाथ डालकर मेरे दोनों बूब्स भी दबाकर चूसे हैं।
जैसे ही वह मेरे चूतड़ों को पकड़कर दोनों बूब्स को मुंह में भरकर चूसता है, तो मैं लड़खड़ाकर मकान मालिक की बाहों में ढीली पड़ती जाती हूं।
ऐसे में मेरे शरीर में एक सनसनी-सी दौड़ जाती है और मेरे शरीर में एक लावा-सा भर जाता है।

इस कारण मकान मालिक दिन-ब-दिन आगे बढ़ता चला गया और मैं भी उसके सामने समर्पण करती चली गई।

मकान मालिक की उम्र 52 साल के करीब होगी।

अब मुझे भी अच्छा लगने लगा था और मकान मालिक चुपचाप हमारा किराया मुझे वापस करने लगा था और हमारी कई तरह से मदद करने लगा था।

एक दिन मैं और मकान मालिक घर पर अकेले थे।

मकान मालिक अंकल मेरे कमरे में आए और मुझे अपनी बाहों में भरकर बेड पर लेट गए।

मेरे ऊपर चढ़कर मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगे।
इस कारण मैं अंकल के भारी-भरकम शरीर के नीचे दब गई और मेरे दोनों बूब्स अंकल के चौड़े सीने के नीचे दब गए।

अंकल मेरे होंठों को चूसते-चूसते अपने हाथ मेरी टी-शर्ट में डालकर मेरे बूब्स को दबाने लगे और फिर मेरी टी-शर्ट ऊपर से उतार दी।
मैं ऊपर से बिल्कुल नंगी हो गई थी।

अंकल ने मेरी एक चूची अपने मुंह में भर ली और दूसरी को अपने हाथ से मसलने लगे।
बीच-बीच में वह मेरे निप्पल को अपने दांतों से काटकर चूसते, तो मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगी थीं- आहह सीईई उहहम्म … सीईई ईई … ऊईईम्म नहह।

मैं बोली, “अंकल छोड़ दो, आहह।”
अंकल बोले, “मेरी जान मनीषा, जब से तू किराए पर आई है, मैं तुझे तब से ही चोदना चाहता था। तूने मेरी रातों की नींद हराम कर दी।”
मैं बोली, “अंकल प्लीज कोई आ जाएगा। बस-बस, बहुत हो गया।”

अंकल ने मेरा पाजामा उतार दिया और अपने मुंह से मेरी आंखों, गालों और होंठों को चूसने लगे।
फिर उन्होंने मेरी टांगें फैलाकर अपना मुंह मेरी चूत में लगाकर चाटने और चूसने लगे।

अब मैं कंट्रोल से बाहर होने लगी थी- आहह जोरर सस म्म सीईई ईई … ऊईईम्म नहह हम्म म्म ऊई उई मां आहह जोर म्म सीईई ईई … ऊई ईम्म मम्मी ईई … ऊई म्म मम्मी ईई!

मैं अपने चूतड़ों को ऊपर उठाकर उछालने लगी और सांसें तेज हो गईं।
तभी मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं झड़ गई।

मेरी चूत ने ढेर सारा पानी अंकल के मुंह में छोड़ दिया और अंकल मेरी चूत का सारा पानी पी गए।
फिर वे मेरी चूत को जीभ से सहलाने लगे।

काफी देर बाद अंकल ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा होकर मेरे ऊपर चढ़ गए।
अंकल का लंड मेरी जांघों पर ठोकर मारकर मेरी हालत खस्ता कर रहा था।

लंबा मोटा लंड देखकर मेरी हालत और खराब हो गई थी।
मैं बोली, “अंकल प्लीज छोड़ दो मुझे, इतना लंबा मोटा मैं नहीं ले पाऊंगी।”

अंकल बोले, “मेरी जान, कुछ नहीं होगा। बस शुरू में थोड़ा-सा दर्द बर्दाश्त कर लेना, फिर तो तुम इससे भी लंबे मोटे लौड़े ले लोगी।”
मैं बोली, “नहीं अंकल, आपका बहुत लंबा मोटा है। मेरी चूत फट जाएगी। मैंने आज तक किसी का नहीं लिया, मैं अभी तक कुंवारी हूं।”

अंकल बोले, “मेरी मनीषा, फिर तो तेरी चूत की सील मैं ही तोड़कर तुझे अपनी बीवी बनाऊंगा।”

अंकल ने मेरे पूरे शरीर को चूम-चाटकर चूसकर मेरे अंदर फिर से लावा भर दिया था और अपना लंबा मोटा लंड मेरी चूत पर रगड़-रगड़कर मेरे अंदर एक आग-सी भर दी।

अब मैं भी अपने आप को तैयार कर रही थी कि जो होगा देखा जाएगा।

तभी अंकल ने मेरी दोनों टांगें चौड़ी कर अपने पंजों के बल बैठकर अपना लंड मेरी चूत से लगा दिया।
मैंने अपनी दोनों आंखें बंद कर लीं।

जैसे ही अंकल अपने लंड से धक्का लगाकर मेरी चूत फाड़ने वाले थे, तभी दरवाजे की घंटी बज गई और हम दोनों जल्दी से अपने कपड़े पहनकर बाहर आ गए।

अंकल ने दरवाजा खोला तो देखा उनकी बीवी आ गई थी।

अगर अंकल ने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया होता, तो शायद बहुत बड़ी मुश्किल में पड़ गए होते।

उसके बाद मौके मिलते रहते थे, तो अंकल पहले की तरह मुझे चूसते हुए अपनी बाहों में भरकर मसलते रहते थे।

बहुत बार अंकल अपने लंड को मेरे मुंह में डालते, तो मैं मना कर देती।
मुझे घिन आती थी।

लेकिन अंकल के दबाव से और अपने मुलायम हाथों से पकड़कर हिलाती.

एक बार अपनी जीभ से अंकल के भारी-भरकम लंड को सहलाने लगी।
फिर मैंने धीरे-धीरे अंकल के लंड को अपने मुंह में भर लिया और अंकल मेरे होंठों-मुंह में अपने लंड को धीरे-धीरे धक्के लगाकर चोदने लगे।

काफी देर बाद अचानक अंकल ने अपने हाथ से मेरा सिर पकड़कर अपना लंबा मोटा लंड पूरा मेरे मुंह में भरकर ढेर सारा गर्म-गर्म वीर्य निकाल दिया। माउथ फक में सारा कम मेरे मुंह में भर दिया.
अंकल का लंड जड़ तक मेरे मुंह में होने के कारण सारा गर्म-गर्म वीर्य मेरे गले से नीचे उतर गया और मेरे पेट में चला गया।

इस तरह अंकल मौका मिलते ही मुझे अपनी आगोश में ले लिया करते थे।

काफी दिनों बाद दशहरे पर मेरे भाई की 10 दिन स्कूल की छुट्टी हुई और अंकल की बीवी, मकान मालकिन को भी दशहरा पूजा और किसी काम से अपने गांव जाना था।

मकान मालकिन मेरी मम्मी को अपने साथ ले जाना चाहती थी।
और मम्मी भाई को भी साथ ले जाना चाहती थी।
इसलिए सभी ने प्रोग्राम बनाया।

तो कुछ दिनों बाद घर पर मैं और अंकल अकेले रहने वाले थे।

दो दिन बाद ही मकान मालिक, आंटी और मेरी मम्मी और भाई को पहली बस में बैठाने सुबह 7 बजे चले गए।
अब सारे घर में मैं अकेली थी तो मैं अंकल के बेडरूम में थी।

मैंने बड़ी-सी ड्रेसिंग टेबल और बड़ा शीशा देखा।
उसमें मेकअप का बहुत सारा सामान था, जिसको देखकर मन ललचा गया।

वहां पर अंकल का आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड देखा, तो उसके हिसाब से अंकल की उम्र 45 साल थी।
मैं अंदाजा लगा रही थी.

सबसे पहले, मैंने वीट लेकर अपनी चूत के बाल साफ करने लगी।
डबल बेड पर ही बाल साफ होने के बाद मेरी चूत काफी चिकनी हो गई।

मैं पूरी नंगी होकर ड्रेसिंग टेबल के शीशे में अपने शरीर को और अपने अंगों को देख रही थी।
शर्म से मैं पानी-पानी हो रही थी।

करीब 2 घंटे बाद अंकल आ गए और आते ही मुझे अपनी बाहों में भरकर मेरे होंठों को अपने होंठों से चूसने लगे।

मैं बोली, “इतनी बेसब्री किस लिए? अब तो मैं 10 दिन के लिए आपकी हूं।”
अंकल बोले, “मनीषा डार्लिंग, तुझे देखकर कंट्रोल नहीं होता। दिल करता है तुझे अपनी बीवी बनाकर पूरी जिंदगी चोदता रहूं।”
मैं बोली, “मुझे अपनी बीवी कैसे बनाओगे? आंटी भी तो है।”

अंकल बोले, “मनीषा, मैं तुझसे शादी करके सुहागरात मनाना चाहता हूं। शायद तुम्हें नहीं मालूम, तुम्हारी आंटी को कैंसर है। काफी सालों से वह बीमार है और डॉक्टर ने आखिरी जवाब दे दिया। ज्यादा से ज्यादा 1 साल यह जिएगी। इसलिए मैं पिछले कई सालों से बीवी के सुख से वंचित हूं।”

मैं बोली, “ओहह।”

अंकल बोले, “मनीषा, तुम मुझसे शादी करोगी? मैं अपने सारे मकान, जायदाद, पैसा तुम्हारे नाम करके तुम्हें मालकिन बना दूंगा।”

मैं बोली, “लेकिन लोग क्या कहेंगे और तुम्हारा बेटा-बहू भी तो हैं।”
अंकल बोले, “बेटा बहुत ज्यादा मतलब नहीं रखता। वह भी विदेश में है और अपनी लाइफ जी रहा है। और लोगों की परवाह क्यों करें? हमारी लाइफ है। हम पति-पत्नी की तरह आगे की खुशहाल जिंदगी जिएंगे। मैं पूरी जिंदगी तुम्हारी गुलामी करूंगा। जो तुम कहोगी, मैं वह मान लूंगा। तू मेरे दिल पर और मेरी जायदाद की मालकिन बनोगी।”

मैं बोली, “हम शादी कहां करेंगे?”

अंकल बोले, “हम कोर्ट में कानूनी शादी करेंगे और तुम कानूनन मेरी पत्नी बनकर मेरी सारी जायदाद की मालकिन बनोगी। यह मेरा तुमसे पक्का वादा है। मनीषा डार्लिंग, हम आज पति-पत्नी बनकर अपनी सुहागरात मनाएंगे।”

मैं बोली, “मैं अपनी सुहागरात को एक दुल्हन की तरह यादगार के तौर पर अनुभव करना चाहती हूं। क्या आप मेरा साथ दोगे?”
अंकल बोले, “मनीषा, मैं हमेशा हर पल पूरी जिंदगी तुम्हारा साथ दूंगा। यह मैं भगवान को साक्षी मानकर तुम्हें वचन देता हूं।”

मैं बोली, “ठीक है। मैं दुल्हन की तरह सोच-समझकर अपने आपको तुम्हें समर्पित कर दूंगी। इसके लिए मुझे दुल्हन की तरह सजना होगा।”

अंकल ने अलमारी से आंटी का शादी का जोड़ा निकालकर दिया.
पर वह साइज में मुझसे बड़ा था।

मैं बोली, “यह तो मुझे ढीला आएगा। इसको एडजस्ट करना पड़ेगा और मुझे शॉपिंग मॉल से अपने कपड़े लेने पड़ेंगे और ब्यूटी पार्लर में काम करवाना पड़ेगा।”

अंकल बोले, “अब तुम बीवी की तरह हुक्म दिया करो।”
और अंकल ने 10 हजार रुपये दिए और मैं अंकल को शाम तक आने को बोलकर पार्लर के लिए निकल गई।

मैंने अपने लिए कपड़े, ब्रा-पैंटी के कई सेट, 4 नाइटी और चूड़ियों के सेट खरीदे। फिर पार्लर में पूरे शरीर की वैक्सिंग, पॉलिशिंग, फेशियल, हेयर स्टाइल, मेहंदी का काम होते-होते शाम हो गई।

ब्यूटीशियन को साथ लेकर मैं घर आ गई।

घर आकर देखा तो अंकल काफी सामान लेकर आ गए थे- तंदूरी चिकन, 2 शराब की बड़ी बोतलें और खाने का बहुत सारा सामान था।

ब्यूटीशियन शादी का जोड़ा निकालकर तैयार कर रही थी।
तब मैं चाय बना रही थी।

सबने चाय पी और फिर तैयार करने लगे।
तकरीबन 2 घंटे में मैं पूरी दुल्हन की तरह तैयार हो गई।

अंकल मुझे देखकर मुस्करा रहे थे और अपने होशो-हवास खो रहे थे।

9 बजे अंकल ने ब्यूटीशियन को पैसे देकर ऑटो रिक्शा में बैठाया।

अंकल बोले, “मनीषा, तुम तो आसमान से उतरी अप्सरा हो। काश तुम मुझे पहले मिली होती। तुम्हें दुल्हन के रूप में देखकर नजरें नहीं हट रही हैं।”
मैं बोली, “अब मैं आपकी दुल्हन हूं।”

अंकल बोले, “मनीषा मेरी दुल्हन, मैं तुम्हें एक सरप्राइज देना चाहता हूं। क्या तुम मुझे इसकी इजाजत दोगी?”
मैं बोली, “अब मैं आपकी हूं। मेरे ऊपर आपका पूरा अधिकार है। आपको किसी चीज की इजाजत लेने की जरूरत नहीं है। आपको मेरे ऊपर पूरा हक है।”

ऐसा सुनकर अंकल ने मेरे सुर्ख लाल होंठों पर एक चुम्बन जड़ दिया और मेरा लंबा-सा घूंघट निकाल दिया।
फिर आंटी की ड्रेसिंग टेबल से उनकी सिंदूर की डिब्बी से सिंदूर लेकर मेरा घूंघट उठाकर मेरी मांग में भर दिया।

और मेरा मुंह दिखाई के लिए 1 लाख रुपये मेरी गोद में डाल दिए।
अंकल बोले, “आज से तुम मेरी पत्नी हो और कुछ दिनों में कानूनन तुम्हें पत्नी का हक मिल जाएगा, जिससे तुम मेरी सारी जायदाद की मालकिन होगी।”

मैं बोली, “मेरे देवता, आज से आप मेरे पति हो और मैं आपकी पत्नी। आज से आपका मेरे ऊपर पूरा अधिकार है।”
और मैंने आगे बढ़कर अंकल के पैर छूकर अपनी मांग में सिंदूर की तरह छुआ और उनके सीने से लग गई।

अंकल ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे रस भरे, लिपस्टिक लगे होंठों को चूम लिया।
फिर अंकल ने शराब की बोतल से गिलास में पैग बनाकर पीया।

2 गिलास मैंने अपने मेहंदी लगे और चूड़ियों से भरे हाथों से बनाकर अंकल को दिए।
अंकल ने मेरे हाथ से गिलास लेकर मेरे होंठों से छुआकर पी गए और थोड़ी-सी मुझे भी पिला दी।

अब अंकल मुझे अपनी बाहों में लेकर धीरे से बेड पर लिटाकर मेरे होंठों को चूमने लगे।

मैं बोली, “मेरे देवता, मैं आपसे एक बात बोलूं? बुरा तो नहीं मानोगे?”
अंकल बोले, “मेरी मनीषा डार्लिंग, अब तुम मानती हो। मैं तुम्हारी किसी बात का बुरा कभी नहीं मानूंगा। तुम हुक्म करो।”

मैं बोली, “मैं अपनी सुहागरात को एक यादगार के रूप में अपने पास रखना चाहती हूं। क्या तुम मेरे मोबाइल से पूरी सुहागरात की हसीन यादें बना दोगे?”
फिर अंकल ने मेरा मोबाइल ऐसे एंगल पर रखकर फोन चालू कर दिया, जिससे पूरा डबल बेड और ज्यादा से ज्यादा रूम फोन के एंगल में आ गया।

आगे की कहानी दूसरे भाग में।

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