मस्त कामुक छोरियों की टोली – 2

मस्त कामुक छोरियों की टोली – 2

तो प्लान यह बना कि बर्थडे पार्टी के लिए सब मिल कर पैसा इकट्ठा करेंगी, शहर के ही एक होटल में एक रूम बुक करेंगी। पार्टी का टाइम होगा 6 बजे से लेकर 9 बजे तक. और इसी तीन घंटे के दौरान हम अपने जीवन को रंगीन बनाएँगी।

अब अगला बर्थडे आया मेरा! सितंबर का महीना था। हम सबने जाकर एक रेस्तरां से बात करी कि हम यहाँ पर अपना बर्थडे सेलिब्रेट करना चाहती हैं, पर करेंगी हम एक रूम में।
उन्होंने 2000 रुपये में हमें रूम दे दिया।

हम सभी ने 700-700 रुपये अपने अपने घर से लिए, 2000 दिये होटल वालों को और बाकी का समान लिया और तय तारीख को होटल में 6 बजे से पहले ही पहुँच गई।
खाने पीने के सामान तो हम अपने साथ ले ही गई थी। होटल के रूम में पहुँच कर हमने सबसे पहले वेटर को 100 रुपये टिप दिया सिर्फ इसलिए कि कोई हमें डिस्टर्ब न करे, हमें कुछ नहीं चाहिए, हम सिर्फ मस्ती करने आयी हैं।

तो जब हमने अपना कमरा अंदर से अच्छी तरह से लॉक कर लिया, और यह भी इत्मीनान कर लिया कि कहीं कोई कैमरा नहीं लगा है।
फिर हमने अपने साथ लाये सामान को खोला। एक केक, चिप्स, बिस्किट, नमकीन, कोल्ड ड्रिंक्स, और भी बहुत कुछ था। मगर सबसे अलग था, एक अद्धा रॉयल सटैग व्हिस्की और दो पैकेट सिगरेट।

अब वैसे तो शादी बयाह में हम सब छुप-छुपा के एक आध बीयर या वाइन ले लेती थी, मगर सबसे सुना था कि व्हिस्की का नशा ही अलग है. तो अपना मूड बनाने के लिए और सिर्फ मज़े के लिए हम एक अद्धा ले आई थी। सिगरेट तो हम सबने कई बार पी थी तो सिगरेट तो बेचलर पार्टी में होनी ज़रूरी थी।

सब सामान निकाल कर हमने टेबल पर सजा लिया और उसके बाद सबसे पहले हमने व्हिस्की के छोटे छोटे पेग बनाए. क्योंकि पहली बार थी तो हम सब बड़ी एहतियात बरत रही थी।

6 गिलासों में शराब डाली, बर्फ डाली, पानी और सोडा मिक्स किया, और फिर सबने एक दूसरी की और शरारती निगाहों से देखते हुये, अपना अपना गिलास उठाया।
हमने जाम टकराए और बड़ा सारा ‘चीयर्ज …’ कह कर एक एक घूंट पी।

बीयर तो फिर भी ठीक होती है, मगर ये तो जहर जैसे कड़वी थी। सबके मुंह बड़े बड़े अजीब अजीब से बने। मगर सबको मस्ती करनी थी, तो सबने घूंट भर ली, और फिर अपने अपने कडवे मुंह का स्वाद ठीक करने के लिए कोई कुछ खाने लगी, कोई कुछ खाने लगी मगर इंकार किसी ने नहीं किया और कड़वे मुंह से बचने के लिए सबने जल्दी जल्दी अपना अपना गिलास खाली कर दिया।

उसके बाद हम सब अपनी अपनी बातें करने लगी। यहाँ इस कमरे में हमारा ही राज़ था, कोई हमें तंग करने, पूछने, रोकने टोकने वाला नहीं था.

तो जैसे ही एक एक पेग अंदर गया, सबके अंदर का असली रूप बाहर आ गया। अब तो हर कोई ‘मादरचोद, बहनचोद‘ बोल कर ही बात कर रही थी। सबके एक हाथ में जाम, दूसरे में सिगरेट, ज़ुबान पर गंदी गालियाँ।
सबकी सब रंडियाँ बनी बैठी थी।

फिर बी बोली- अरे यार, मुझे मूत आया है, और किसी को आया है जो चलेगी मेरे साथ?
तो डी और ई भी उठ खड़ी हुई।

वो जाने लगी तो एफ बोली- अरे क्या बैठ कर मूतोगी, मज़ा तो तब है जब लड़कों की तरह खड़ी हो कर मूत कर दिखाओ।
बी बोली- तो खड़े होकर मूतने में क्या बड़ी बात है, मैंने तो कई बार खड़े हो कर मूता है। आ जा दिखा देती हूँ।

वो क्या उठी हम सभी उठ गई, सब बाथरूम में गई। मगर दिक्कत ये थी कि थी तो हम लड़कियां, हमारे कौन सा लंड लगा था, जो 6 इंच आगे धार मारता। अगर खड़े हो कर मूतती तो हम सबके कपड़े खराब होने थे और सारी टाँगें मूत से भीग जाती वो अलग।

तो मैंने तो सबसे पहले अपनी जीन्स और पेंटी उतार कर साइड रखी।

मुझे देख बाकी सबने भी अपनी अपनी जीन्स उतार दी। उसके बाद हम सब दीवार के सामने जा कर खड़ी हो गई, और अपनी अपनी फुद्दी खोल कर दीवार की तरफ मुंह करके मूतने लगी।

सभी की फुद्दी की धार दीवार पर पड़ी, मगर इसके बावजूद दीवार से पड़ने वाले छींटें और कुछ सहीं एंगल न बनने की वजह से हम सब की टाँगें मूत से गंदी हो गई। तो अब टाँगें धोने की नौबत आ गई।

मगर जब मैंने टोंटी की जगह फव्वारा चला दिया तो सबने कहा कि क्यों न एक साथ नहा लिया जाए।

बस फिर तो सबने कपड़े उतारे और सब की सब नंगी हो कर फव्वारे के नीचे आ गई। सब एक साथ एक दूसरे के साथ मस्ती करती हुई नहाने लगी।
स्विमिंग के बाद भी हम एक साथ नहा लेती थी, मगर तब हम सब होश में होती थी, मगर यहाँ तो दारू का नशा चढ़ा हुआ था.

तो जैसे हमारे नंगे बदन एक दूसरे से टकराए, सबकी आँखों में हवस के डोरे तैर गए। पहले सिर्फ गले लगाने की बात थी, मगर देखते ही देखते कोई किसी को तो कोई किसी को चूमने लगी और चूम भी होंठों पर रही थी।

सबकी सब 6 लड़कियों के 3 जोड़े बन गए और एक दूसरे की बाहों में कैद, एक दूसरी के होंठों से होंठ जोड़ आँखें बंद कर सारी दीन-दुनिया से बेखबर हम वासना की उफनती हुई नदी में डूब गई। उसके बाद तो किसी को पता नहीं चला कि कौन क्या कर रही है।

एक नहीं दो नहीं, हम सब छह की छह लड़कियों ने एक दूसरे के होंठ चूसे, एक दूसरी की जीभ भी चूस डाली। सब पर सेक्स का भूत सवार हो रखा था। होंठों से नीचे उतरे तो एक दूसरी के मम्मे चूसे, मम्मों से पेट और फिर जांघों को चूमते चूमते कब कौन किसकी फुद्दी से मुंह लगा बैठी, कोई होश नहीं।

पहले तो हम सब आपस में दो दो के कपल बन कर एक दूसरी को चूम चाट रही थी, मगर जब फुद्दी में मुंह लग गए तो एफ बोली- यार ऐसे मत करो, सबको एक जैसा मज़ा आना चाहिए, मादरचोद। तो सब एक गोल घेरे में लेटो और अपना मुंह दूसरी की टाँगों के बीच में रखो और थोड़ी देर बाद एक को छोड़ कर दूसरी ऊपर को सरक जाए, इस से सबको सबकी भोंसड़ी चाटने का मज़ा आएगा।

सब को आइडिया पसंद आया।

पहले मैं सी और एफ लेटी। फिर बी, डी और ई हमारे ऊपर एडजस्ट हो कर लेट गई। गोरी चिट्टी फुद्दियों में गुलाबी जीभें घूमने लगी। लड़कियों के बदन तड़पने लगे, अब सबके मुंह दूसरी की फुद्दी से लगे थे तो सबके मुंह से सिर्फ ‘ऊँह … उम्म …’ ही निकल पा रहा था।

मगर बीच बीच में कोई न कोई फुद्दी से मुंह हटा कर बोल भी पड़ती- ओए चोद दे मुझे साली, उंगली डाल दे अंदर मेरी फुद्दी में … हाय मर गई … कोई लंड दिलवा दो … दाना चबा जा मेरी चूत का साली … ए रांड, ठीक से चूस न … कुतिया हूँ मैं, चोदो मुझे!

पर ज़्यादा आवाज़ें ‘फक मी … फक मी!’ की ही थी। सब मस्त, एक दूसरी के जिस्म से खेलते हुये, मज़े कर रही थी।

फिर आया झड़ने का दौर। एक के बाद एक करके सब झड़ने लगी। जो झड़ जाती वो बाहर बैठ जाती, सबसे पहले बी झड़ी। अगले 3-4 मिनट में ही सब की सब ठंडी हो कर बैठ गई।
मगर खुमार अभी तक सब पर था जैसे सब की सब अभी भी प्यासी थी।

सी बोली- यार बेशक हमने अपनी ज़िंदगी का पहला पानी गिरा दिया है, मगर अभी तक सच कहूँ … मेरी संतुष्टि नहीं हुई है। मैं चाहती हूँ कि एक बार हम और ये सब मज़ा लूटें।
सब ने उसकी हाँ में हाँ मिलाई।

लेकिन उससे पहले हम सबने म्यूजिक चलाया और उस पर खूब नाची। एक ही कमरे में शराब से धुत्त 6 नंगी लड़कियां बदहवासी में ऊट पटांग जैसे जिस को अच्छा लगा वैसे ही बेढंगा नाची।
इतना नाची के थक कर गिर पड़ी।

जब सब एक दूसरी के ऊपर गिरी पड़ी थी, और फिर धीरे धीरे जब सबकी सांस में सांस आई तो फिर से प्यार के बादल उमड़ने लगे. फिर हम एक दूसरी को प्यार से चूमने चाटने लगी।

अगले 20 मिनट तक हम सब ने फिर एक दूसरी की फुद्दियाँ चाट चाट कर झाड़ दी। सब ने एक दूसरी का खट्टा नमकीन पानी पिया।

सब खुश थी क्योंकि सबका ये पहला लेस्बीयन सेक्स का तजुरबा था जो सबको बहुत पसंद आया।

उसके बाद हमने सब एक साथ फिर से नहायी और अपने कपड़े पहन कर चुस्त दरुस्त हो गई. बेशक दारू ने सबके सर घुमा रखे थे मगर हम उसके बाद देर रात को चुपचाप अपने घर चली गई।

अगले दिन छुट्टी थी तो सब देर से उठी और उठते ही सबने एक दूसरी से बात करी।

कल बेशक हमने बेशर्मी की सभी हदें पार कर दी थी मगर आज हमें बड़ी शर्म आ रही थी. मगर शर्म के साथ हमें उस रोमांच की याद ज़्यादा आ रही थी।